मसान के फूल
मसान के फूल डॉ. इन्दु गुप्ता सुरुचिपूर्ण साज-सज्जा तथा संगीत , नृत्य व नाट्य की विभिन्न शैलियों में कला अनुभव व वैभव से सुसमृद्ध... सुसम्पन्न संगीत-साधकों तथा कला-मनीषियों और प्रचुर रोशनी से जगमगाते हॉल में मंच उद्घोषक की आवाज़ लगातार गूंज रही थी। ' मानसी सुखदा ' को हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में उनके योगदान हेतु सर्वोच्च सम्मान के लिए मंच पर पधारने का ससम्मान आग्रह किया जा रहा था। राष्ट्रपति महोदय से हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत में सर्वोच्च सम्मान प्राप्त करने का दर्प मानसी के मुखमण्डल पर दिप-दिप दैदीप्यमान हो रहा था। हरी नारंगी कांचीवरम , घुटनों तक लम्बी चोटी पर सजा बेला का गजरा , अवसर मुताबिक सुरूचिपूर्ण सुन्दर हल्के आभूषण। साड़ी संभालती मानसी सुखदा मां और गुरूमां कृष्णप्रिया देवी और नारंगी कुर्ते तथा नीली डेनिम में बैठे श्रीहास के बगल से उठकर स्टेज की तरफ बढ़ चली थी। सुखदा की आंखें झर-झर बरस रही थीं। अड़तीस बरस पहले भी उसकी आंखें इसी तरह बरसी थीं , उस नर्सिंग होम में जहां सुखदा ने मानसी को जन्म दिया था। अश्रु-वर्षा इसलिए नहीं कि प्रसव बहुत कठिनाई से ह...